यूक्रेनी विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा भारत पहुँची ।

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नई दिल्ली ।

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा दो दिवसीय यात्रा के लिए नई दिल्ली पहुंचे हैं। इस दौरान वह भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास करेंगे। सात वर्षों में यह पहली बार है कि यूक्रेन के विदेश मंत्री भारत का दौरा कर रहे हैं और कुलेबा के लिए यह पहला मौका है। कुलेबा ने कहा है कि वह अपने युद्धग्रस्त देश के पुनर्निर्माण में भारतीय भागीदारी की मांग करेंगे। विशेष रूप से, नई दिल्ली की अपनी यात्रा से पहले, यूक्रेनी विदेश मंत्री ने एक ब्रीफिंग में कहा था कि कीव “भारत को एक शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय आवाज के साथ एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में देखता है।” यह उनके पुराने बयान से बिल्कुल उलट है जब उन्होंने रूसी तेल के “नैतिक रूप से अनुचित” आयात का आरोप लगाकर भारत पर हमला बोला था।

कुलेबा की यात्रा को लेकर एक सवाल उठ रहा है कि क्या यह भारत के साथ संबंध सुधारने को लेकर बेहतर समय है, क्योंकि पिछले हफ्ते ही रूस की राजधानी मॉस्को में आतंकवादी हमला हुआ था और रूस ने इस हमले के तार यूक्रेन से जोड़े थे। एक वरिष्ठ पूर्व राजनयिक ने स्ट्रैटन्यूज़ ग्लोबल से बातचीत में कहा कि कुलेबा की यात्रा को स्थगित करने की मांग की जा सकती है, लेकिन इससे विवाद पैदा होगा, क्योंकि इसका मतलब यह है कि हम स्वीकार रहे हैं कि मॉस्को में हुए आतंकी हमले में यूक्रेन शामिल था। बेहतर होता कि यात्रा की तारीख बाद में रखी जाती, लेकिन कारण दमदार होना चाहिए। एक अन्य राजनयिक ने कहा कि यात्रा को रद्द करने या री-शेड्यूल करने से जटिलताएं पैदा होंगी।

कुलेबा की भारत यात्रा से रूस के नाराज होने का भी खतरा है। हालांकि, यह भारत और यूक्रेन के बीच यह पहली राजनयिक बातचीत नहीं है। पिछले साल अप्रैल में, यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिन दज़ापारोवा भारत यात्रा पर पहुंची थीं। हालांकि, वह आधिकारिक तौर पर इंडियन काउंसिल फॉर वर्ल्ड अफेयर की मेहमान थीं, लेकिन इस दौरान उनसे तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी और उप एनएसए विक्रम मिस्री से मुलाकात की थी। इससे पहले सितंबर 2022 में उज्बेकिस्तान में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा था, “आज का युग युद्ध का नहीं है…।” पीएम मोदी के इस बयान की वैश्विक स्तर पर तारीफ की गई थी।

पिछले हफ्ते जब पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के सात फोन पर बात की तो उसी दिन उन्होंने व्यक्तिगत रूप से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन कर उन्हें रिकॉर्ड छठे कार्यकाल के लिए बधाई दी थी। एक बात जो उन्होंने कही वह दोनों नेताओं के लिए समान थी। पीएम मोदी ने दोनों नेताओं से आगे बढ़ने के रास्ते के रूप में बातचीत और कूटनीति का आह्वान किया। पुतिन के सामने उन्होंने “आगे बढ़ने के रास्ते के रूप में बातचीत और कूटनीति के पक्ष में भारत की निरंतर स्थिति” दोहराई। जेलेंस्की से उन्होंने यह भी कहा, भारत पार्टियों के बीच सभी मुद्दों के शीघ्र और शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी प्रयासों का समर्थन करता है… भारत शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने के लिए अपने साधनों के भीतर सब कुछ करना जारी रखेगा।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता कर रहा है। घटनाओं का क्रम और आधिकारिक संदेश इसक बात का संकेत दे सकती हैं, हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने कभी भी इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है। एक मध्यस्थ पर दोनों पक्षों को भरोसा होना चाहिए। न तो अमेरिका और न ही यूरोप पुतिन के साथ संबंधों के मामले में विश्वसनीय हैं। चीन कड़ी कोशिश कर रहा है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उसका नतीजा क्या होने वाला है। वहीं दूसरी ओर रूस को भारत पर भरोसा है। यूक्रेन इतना आश्वस्त नहीं है लेकिन वह नई दिल्ली तक अपनी बात पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।गुरुवार को दिल्ली पहुंचने से पहले कुलेबा ने भी कुछ ऐसा कहा, जिससे भारत के मध्यस्थ बनने का संकेत माना गया। कुलेबा ने कहा, “यूक्रेन भारत को एक शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय आवाज के साथ एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में देखता है।” होली (25 मार्च) के अवसर पर, यूक्रेन के दिमित्रो कुलेबा ने देश को त्योहार की शुभकामनाएं दीं और घोषणा की कि वह विदेश मंत्री एस जयशंकर के निमंत्रण पर सप्ताह के अंत में भारत का दौरा करेंगे। अपनी भारत यात्रा के दौरान वह शुक्रवार को अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ-साथ उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ बैठक करेंगे।

पत्रकार – देवाशीष शर्मा


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