जापान को भारत में आये बदलाव की सहराना करनी चाहिए: एस जयशंकर ।
1 min readनई दिल्ली ।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि जापान भारत में बदलाव की गति की सराहना करे। जयशंकर 6-8 मार्च तक तीन दिवसीय यात्रा पर जापान में हैं। विदेश मंत्री ने आज टोक्यो में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित पहले रायसीना गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि जापान आज भारत में बदलाव की गति की सराहना करे जयशंकर ने कहा भारत आज एक ऐसा देश है जो हर दिन 28 किलोमीटर राजमार्ग बना रहा है, जो हर साल 8 नए हवाई अड्डे बना रहा है, जो हर साल डेढ़ से दो मेट्रो स्थापित कर रहा है, जिसने पिछले 10 वर्षों से हर दिन दो नए कॉलेज बनाए हैं। विदेश मंत्री ने तकनीकी मोर्चों पर देश द्वारा हासिल किए गए विकास पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत आज एक बहुत ही अलग देश है।
भारत का यह परिवर्तन हमें एक अधिक प्रभावी और विश्वसनीय भागीदार बनाता है जिससे वह व्यापार करने में आसानी हो, जीवन जीने में आसानी हो, डिजिटल डिलीवरी हो, स्टार्टअप और नवाचार संस्कृति हो या अंतरराष्ट्रीय एजेंडे को आकार देना हो भारत स्पष्ट रूप से आज एक बहुत ही अलग देश है। उन्होंने उन प्रमुख गलियारों के बारे में भी विस्तार से बताया जो भारत अपने पूर्व और पश्चिम दोनों में काम कर रहा है और कहा कि जापान और भारत के इस बारे में समान विचार हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि इनमें अरब प्रायद्वीप और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के माध्यम से भारत मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा (आई.एम.ए.सी.) पहल शामिल है और पूर्व की ओर त्रिपक्षीय राजमार्ग पूरा होने पर ये गलियारे अटलांटिक को एशिया के माध्यम से प्रशांत से जोड़ देंगे। दो राष्ट्रों (भारत और जापान) के पास पारदर्शी और सहयोगात्मक संपर्क की आवश्यकता के बारे में समान विचार हैं।
जयशंकर ने 78 देशों में विकास के देश के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में अपनी जिम्मेदारी के प्रति सचेत है। विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत जिम्मेदारी के प्रति सचेत है और हमारे विकास के प्रयास आज विभिन्न महाद्वीपों के 78 देशों में फैले हुए हैं। उन्होंने जापान से यह भी सवाल किया कि क्या दोनों देश रक्षा प्रणालियों को मजबूत करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। क्या भारत और जापान अपनी विकास प्रणालियों के संबंध में समन्वय कर सकते हैं? समुद्री सुरक्षा विशेष रूप से चिंता का विषय बन गई है। हम देख सकते हैं कि लाल सागर में हमें पहले नुकसान हुआ था-बड़े क्षेत्र के लाभ के लिए हमारी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना भी आवश्यक है।
पत्रकार – देवाशीष शर्मा