कतर ने मौत की सजा के खिलाफ पूर्व भारतीय नौ सैनिकों की अपील स्वीकार की ।

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नई दिल्ली ।

कतर की एक अदालत ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों की मौत की सजा के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार की अपील स्वीकार कर ली है और कोई निश्चित समयसीमा बताए बिना उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई करने पर सहमति जताई है।इससे एक महीने पहले कतर की कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा सुनाई थी। भारतीय नौसेना के आठ पूर्व सैनिकों के खिलाफ 25 मार्च को आरोप दायर किए गए थे और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था, लेकिन 26 अक्टूबर को स्थानीय अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने के बाद स्थिति और खराब हो गई। विदेश मंत्रालय ने इस फैसले को बेहद चौंकाने वाला बताया था और मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करने का संकल्प लिया था।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, हमारे पास शुरुआती सूचना है कि कतर की कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस ने अल दहरा कंपनी के आठ भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में आज फैसला सुनाया। हम मौत की सजा के फैसले से बहुत सदमे में हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं और हम सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। गिरफ्तार किए गए भारतीयों की पहचान कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुणाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश के रूप में हुई है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि उनकी पार्टी उम्मीद करती है कि सरकार कतर सरकार के साथ अपने राजनयिक और राजनीतिक लाभ का अधिकतम उपयोग करेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिकारियों के पास अपील का पूरा सहारा हो और उन्हें जल्द से जल्द रिहा कराने के लिए पूरी कोशिश की जाए। दोहा स्थित दहरा ग्लोबल के सभी कर्मचारियों को अगस्त 2022 में हिरासत में लिया गया था।
पिछले साल उनकी गिरफ्तारी के बाद, पूर्व नौसेना कर्मियों को कतर के अधिकारियों से कुछ राहत मिली जब उन्हें एकांत कारावास से बाहर ले जाया गया और उनके सहयोगियों के साथ जेल वार्ड में डबल-बेड ऑक्युपेंसी में रखा गया।

पत्रकार – देवाशीष शर्मा


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