आपके घर के किसी हिस्से का नाम बदल दें , तो क्या वो हमारा हो जाइएगा ।
नई दिल्ली ।
भारतीय विदेश मंत्रालय (एम.ई.ए.) ने अरुणाचल प्रदेश राज्य में कई स्थानों के नाम बदलने के चीन के नवीनतम प्रयास की कड़ी निंदा की है। 2 अप्रैल को जारी एक बयान में विदेश मंत्रालय ने चीन की कार्रवाइयों की आलोचना करते हुए कहा कि चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने के अपने मूर्खतापूर्ण प्रयासों पर कायम है। विदेश मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि अरुणाचल प्रदेश में स्थानों को आविष्कार किए गए नामों से यह वास्तविकता नहीं बदलेगी कि यह राज्य भारत का अभिन्न अंग है। हम इस तरह के प्रयासों को दृढ़ता से खारिज करते हैं। एमईए के बयान में कहा गया है कि आविष्कार किए गए नामों को सौंपने से यह वास्तविकता नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है रहा है और हमेशा रहेगा।
यह फटकार चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय द्वारा अरुणाचल प्रदेश के चीनी नाम जांगनान में मानकीकृत भौगोलिक नामों की चौथी सूची जारी करने के बाद आई है जिसे बीजिंग दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में दावा करता है। चीनी मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट ने इस क्षेत्र के लिए 30 अतिरिक्त नाम पोस्ट किए। चीन के कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अगर मैं आपके घर का नाम बदल दूं तो क्या यह मेरा होगा? अरुणाचल प्रदेश एक भारतीय राज्य था एक भारतीय राज्य है और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। नाम बदलने से कुछ हासिल नहीं होगा। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी चीन के नाम बदलने की कोशिश की निंदा करते हुए कहा कि मैं अरुणाचल प्रदेश के अंदर 30 स्थानों को अवैध रूप से मानकीकृत भौगोलिक नाम दिए जाने की कड़ी निंदा करता हूं। चीन सभी आधारहीन दावे करता रहा है लेकिन इससे जमीनी हकीकत और ऐतिहासिक तथ्यों में कोई बदलाव नहीं होगा। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलना दोनों देशों के बीच लंबे समय से तनाव का कारण रहा है जिसमें भारत दृढ़ता से राज्य पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है।
रिजिजू ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अविभाज्य हिस्सा है और अरुणाचल प्रदेश के लोग सभी मानकों और परिभाषाओं से सर्वोच्च देशभक्त भारतीय हैं। नाम बदलने के मुद्दे की विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने भी आलोचना की है। इसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को चीन की कार्रवाई की निंदा की और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से कड़ा रुख अपनाने का आग्रह किया। जब चीन उकसाने का सहारा लेता है तो पीएम मोदी कच्छथीवु पर झूठे आख्यान के जरिए शरण लेने का प्रयास करते हैं! अपने चीनी समकक्ष के साथ कम से कम 19 दौर की द्विपक्षीय वार्ता के बाद भी पीएम मोदी भारतीय क्षेत्रों के नाम बदलने की इस बेतुकी बात को रोकने के लिए चीन पर किसी भी राजनयिक प्रभाव का इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं कम से कम मोदी सरकार सोशल मीडिया पर उनके द्वारा लिखे गए इन दैनिक हास्यास्पद कार्यों और बयानों पर चीन की कड़ी निंदा और फटकार लगा सकती है।
पत्रकार – देवाशीष शर्मा