BBC की डॉक्यूमेंट्री को लेकर उबाल भी और बवाल भी, मुंबई के TISS में भी विवाद
1 min readजेएनयू, डीयू और जामिया के बाद आब गुजरात में भी मोदी की भूमिका को लेकर बनी BBC की डॉक्यूमेंट्री को मुंबई के TISS में आज शाम दिखाए जाने की योजना के खिलाफ संस्थान ने इसे रोकने की कार्रवाई की है.
जेएनयू, डीयू, जामिया, पीयू, जादवपुर यूनिवर्सिटी के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की गुजरात दंगे के दौरान भूमिका को लेकर बनी BBC डॉक्यूमेंट्री को दिखाए जाने से जुड़ा विवाद अब महाराष्ट्र तक पहुंचा। आज (28 जनवरी, शनिवार) शाम 7बजे मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (TISS) में यह फिल्म दिखाई जानी थी. लेकिन संस्थान ने यह साफ कर दिया है कि अगर किसी तरह इसके प्रदर्शन हुआ तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. विद्यार्थियों ने इस फिल्म की स्क्रीनिंग की मांग कर रहे है. साथ ही इंस्टीट्यूट ने विद्यार्थियों की इस मांग को नकार दिया.
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस ने एक नोटिस जारी किया है. इसमें लिखा है कि इंस्टीट्यूट के कुछ स्टूडेंट्स पीएम मोदी की गुजरात दंगे के वक्त की भूमिका पर बनी BBC की डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्क्रीनिंग की प्लानिंग कर रहे हैं. इस डॉक्यूमेंट्री की वजह से पहले ही देश के कुछ संस्थानों में अशांत माहौल हो रहा है. साथ ही इस डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के विरोध के लिए भी कुछ विद्यार्थियों ने संस्थान में मीटिंग आयोजित की है. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए संस्थान के विद्यार्थियों को सूचित भी किया जा चुका है कि ऐसे में संस्थान इस में डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन की इजाजत विलकुल भी नही दे सकती. ऐसी कोई भी कार्रवाई की गई तो संस्थान की तरफ से अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
दूसरी तरफ TISS छात्र संगठन के कुछ नेताओं का कहना है कि संस्था में विद्यार्थियों ने इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर ऐसी कोई प्लानिंग ही नहीं की है कि इसे रोकने के लिए संस्थान को नोटिस देने की जरूरत पड़े. प्रोग्रेसिव स्टूडेंट फोरम की ओर से इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित की जाने की जानकारियां सामने आ रही हैं लेकिन हम उससे जुड़े हुए नहीं हैं.
BBC की डॉक्यूमेंट्री को लेकर पहले ही काफी विवाद हो रहा है. यह डॉक्यूमेंट्री भारत में उपलब्ध नहीं है. लेकिन इसके लिंक्स यूट्यूब और ट्विटर पर शेयर किए जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने ये वीडियो और ट्विवटर लिंक्सको ब्लॉक कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने इस डॉक्यूमेंट्री को कु-प्रचार का एक हिस्सा बताया है. इसे विदेश मंत्रालय ने कोलोनियल माइंडसेट से बनाई गई डॉक्यूमेंट्री कहा है.