ज्ञानवापी श्रृंगारगोरी विवाद पर आज फैसले का दिन,वाराणसी में धारा 144 लागू

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वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन मामले में आज सोमवार को जिला अदालत फैसला देगी कि, मुकदमा चलने योग्य है या नहीं..

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन मामले में आज सोमवार को जिला अदालत फैसला देगी कि, मुकदमा चलने योग्य है या नहीं। दुनियाभर की निगाहें इस फैसले पर हैं। फैसले को लेकर कोई हंगामा न भड़कने पाए इसलिए शहर में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। वाराणसी पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश ने कहा कि, एहतियाती कदम की वजह से वाराणसी कमिश्नरेट में धारा 144 लागू करने का निर्देश जारी किया गया है। बम निरोधक दस्ता और डाग स्क्वाड के साथ वाराणसी पुलिस ने चप्पे-चप्पे पर अपनी नजर कड़ी कर दी है।

शृंगार गौरी प्रकरण में पांच महिलाओं की मांग जानें
ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में पांच महिलाओं की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र में इतिहास, पुराणों संग मंदिर के इतिहास से लेकर उसके संरचना का जिक्र करते हुए दर्शन पूजन का अधिकार मांगा गया था। मांग किया है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 की पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन के लिए सौंपा जाए और सुरक्षित रखा जाए। जिन्होंने कोर्ट में यह वाद दाखिल किया है, उनके नाम राखी सिंह हौजखास नई दिल्ली, लक्ष्मी देवी सूरजकुंड लक्सा वाराणसी, सीता साहू सराय गोवर्धन चेतगंज वाराणसी, मंजू व्यास रामधर वाराणसी और रेखा पाठक हनुमान पाठक वाराणसी हैं।

श्रृंगार गौरी मामले में 24 अगस्त को पूरी हो गई थी बहस
वाराणसी के जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत यह फैसला सुनाएगी। मई 2022 में यह मामला शुरू हुआ था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज की अदालत में श्रृंगार गौरी मामले में 24 अगस्त को सभी पक्षों की तरह से बहस पूरी कर ली गई थी। और जिला जज ने 12 सितंबर तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज वाराण्सी को सौंपी जिम्मेदारी
दरअसल, इस मामले में तत्कालीन सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने सर्वे का आदेश जारी किया था। इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का सर्वे किया गया था। इसी सर्वे के बाद मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग के होने का दावा किया गया वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया। इस मामले में विवाद इतना बढ़ गया कि सर्वे के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया कमेटी सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने मामला सुनवाई योग्य है या नहीं पर फैसले लिए इस मुकदमे को जिला जज की अदालत में भेज दिया था।


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