ख़त्म हुआ इंतज़ार, आज मिलेगा देश को 15वा राष्ट्रपति, द्रौपती के जीतने की आंशका
1 min readशुरू हुए थी जो उलटी गिनती आज वो खत्म होने जा रही है. देश को आज 15वां राष्ट्रपति मिलेगा ,वोटो की गिनती शुरू हो चुकी है और इसका परिणाम शाम तक घोषित हो जायेगा कि किसने बाज़ी मारी है। यह द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की ओर से प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के बीच फैसला होगा. फ़िलहाल हरजगह अभी से ही NDA की तरफ से द्रोपती मुर्मू मैदान में जीतने का डंका बजाया जा रहा है. अभी से ही द्रौपदी मुर्मू की जीत की आंशका जताई जा रही है, बता दें द्रौपदी मुर्मू जिस गांव से है, वहां का तो रुख ही बदल चूका है. हर तरफ आपको खुशिया नज़र आएगी लोग जश्न की तयारी में अभी से जुट गये है. उनके लिए ये बहुत गर्व की बात हैं कि एक आदिवासी महिला जिसे लोग कहते थे. कि इतना पढ़ के क्या करोगी लड़किया कुछ नहीं कर सकती है. ये बात आज द्रौपदी मुर्मू ने सबको गलत साबित करके दिखा दिया है, आज वो अपने संघर्ष और छोटे से गांव से निकल कर राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुच चुकी है. गौरतलब हैं कि एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर गांव से ताल्लुख रखती है, उनके पैतृक गांव रायरंगपुर में उनकी जीत की घोषणा के पहले ही विजय जुलूस निकालने की तैयारी हो गई है. द्रौपदी मुर्मू की जीत के बाद बांटने के लिए मिठाइयां तैयार की गईं हैं, यदि वह जीत हासिल करती हैं, तो देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन जाएंगी।
5 साल का कार्यकाल पुरे कर बनी थी पहली राज्यपाल
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वह एक आदिवासी जातीय समूह संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं। ओडिशा के आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू झारखंड की नौवीं राज्यपाल बनी थीं। राजनीतिज्ञ होने के अलावा वह अनुसूचित जनजाति समुदाय से आती हैं। राज्यपाल बनने से पहले वह भारतीय जनता पार्टी की सदस्य रही हैं। यही नहीं द्रौपदी मुर्मू साल 2000 में गठन के बाद से पांच साल का कार्यकाल (2015-2021) पूरा करने वाली झारखंड की पहली राज्यपाल हैं।
1997 से शरू हुआ राजनीती दौर
मुर्मू ने एक शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और फिर ओडिशा की राजनीति में प्रवेश किया। वह मयूरभंज (2000 और 2009) के रायरंगपुर से भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक रहीं। उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पार्टी के भीतर कई प्रमुख पदों पर कार्य किया है। मुर्मू 2013 से 2015 तक भगवा पार्टी की एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी थीं। उन्होंने 1997 में एक पार्षद के रूप में चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उसी वर्ष, उन्हें भाजपा के एसटी मोर्चा का राज्य उपाध्यक्ष चुना गया।
भाजपा ने एक आदिवासी को क्यों उतारा मैदान में
आपको बता दे बीजेपी ने इस बार मुर्मू को अपना उमीदड्वार बना के आने वाले 2024 के चुनाव में आदिवासी के वोटो को सुरक्ष्त करी है । क्युकी आदिवासी जीत हार में एहम भूमिका निभाती आ रही है।आपको बता दे ,भाजपा आदिवासियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं। इन राज्यों में आदिवासियों का अच्छी खासी संख्या है। इसलिए आदिवासी मतदाता पार्टी की योजना के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही, 64 वर्षीय द्रौपदी महिला मतदाताओं को आकर्षित करने में भी पार्टी की मदद कर सकती हैं।
प्रधानमंत्री मिलने जा सकते है मुर्मू के आवास
रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में उमा शंकर दीक्षित मार्ग पर स्थित द्रौपदी मुर्मू के आवास पर दोपहर करीब 2 बजे जा सकते हैं.