शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रायपुर से रहा है गहरा नाता

द्वारिका एवं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 99 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनके निधन के बाद से ही छत्तीसगढ़ समेत

रायपुर: द्वारिका एवं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 99 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनके निधन के बाद से ही छत्तीसगढ़ समेत देशभर में शोक की लहर है. राजनेताओं के साथ साथ आम नगारिक भी उनके निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का छत्तीसगढ़ से गहरा नाता रहा है. तत्कालीन मध्यप्रदेश के समय से ही उन्होंने छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों का दौरा भी किया है. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद उन्होंने राजधानी के बोरियाकला आश्रम को स्थापित किया था.

स्फटिकमणि की मूर्ति हुई रायपुर में स्थापित
शंकराचार्य आश्रम रायपुर के प्रभारी डॉ इंदुभवनानंद ब्रम्हचारी ने बताया “शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का छत्तीसगढ़ से गहरा नाता था. उनकी परिकल्पना थी कि छत्तीसगढ़ में ऐसी मूर्ति स्थापित हो, जो विश्व में कहीं नहीं है. तत्कालीन जोगी सरकार के समय रायपुर में आश्रम के लिए जगह चिन्हित की गई और मन्दिर बनाने की शुरुआत हुई. उस समय रायपुर से पहले भोपाल में भी मंदिर का निर्माण हो रहा था. स्वामी जी ने रायपुर में मंदिर के भूमि पूजन के समय कहा था कि जो मन्दिर पहले बनकर तैयार होग उसे हम स्फटिकमणि का विग्रह देंगे. भोपाल से पहले रायपुर में मंदिर का निर्माण हुआ. स्फटिकमणि की माता राजराजेश्वरी की पहली मूर्ति रायपुर में स्थापित की गई. बाद में एक साल बाद भोपाल में भी मंदिर तैयार हुआ. भोपाल में भी स्फटिकमणि की माता राजराजेश्वरी की मूर्ति स्थापित हुई.”

छत्तीसगढ़ से रहा है गहरा नाता
“शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का छत्तीसगढ़ के प्रति बहुत लगाव और प्रेम था. छत्तीसगढ़ के एक एक गांव के बारे में उन्हें जानकारी थी. उन्होंने साजा क्षेत्र में पदयात्रा की थी. उनका छत्तीसगढ़ में निरंतर आना होता रहा है. छत्तीसगढ़ के के गांवों में भी उन्हें बहुत माना जाता है. लोगों के घरों में शंकराचार्य जी की तस्वीर मौजूद है.”

विश्वभर में नशा मुक्ति के लिए बनाई हिंगलाज सेना
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने विश्व में नशा मुक्ति के लिए हिंगलाज सेना की स्थापना की. छत्तीसगढ़ हिंगलाज सेना के प्रदेश सचिव नरसिंह चंद्राकर ने बताया कि “प्रदेश में स्वामी जी ने अलग अलग कार्य के लिए बहुत से संगठन बनाए हैं. उन्ही में से हिंगलाज सेना है. जो पूरे विश्व में नशामुक्ति के लिए कार्य कर रही है. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के महाप्रयाण की खबर से सुनते ही सभी में शोक की लहर है.”

महाराज के निधन के बाद कौन होगा उत्तराधिकारी
ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रमुख शिष्य दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती व अविमुक्तेश्वरानंद हैं. ऐसा माना जा रहा है कि इन्हें महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा जा सकता है. यह जानकारी शंकराचार्य आश्रम, परमहंसी गंगा क्षेत्र, झोतेश्वर के पंडित सोहन शास्त्री ने दी है.


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