नूपुर शर्मा को SC ने लगाई फटकार, कोर्ट ने कहा…टीवी पर जाकर मांगे माफ़ी
1 min readनूपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने पैगंबर बयान भड़काऊ बयान के मामले में फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को कहा कि आपके बयान से देश का माहौल खराब हुआ है. शीर्ष अदालत ने कहा कि आपको टीवी पर जाकर माफी मांगनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने गैर जिम्मेदाराना बयान दिया है.
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप अपने आप को वकील कहती हैं, फिर भी ऐसा बयान दिया. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपके बयान से देश का माहौल बिगड़ा है. कोर्ट ने कहा कि आपके बयान से देश की बदनामी हुई है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि आप इस मामले में हाईकोर्ट जाएं.नूपुर शर्मा ने अपने खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज सभी मामलों को दिल्ली में ट्रांसफर किए जाने की अर्जी लगाई थी.
दिल्ली पुलिस ने आपके लिए रेड कार्पेट बिछा रखा है
सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा की पहले मांगी गई माफी को लेकर भी सवाल खड़े किए. अदालत ने कहा कि आपने जो माफी मांगी वो भी सशर्त थी. शीर्ष अदालत ने राजधानी में दिल्ली पुलिस की तरफ से दर्ज शिकायत पर अब तक हुए ऐक्शन पर भी सवाल उठाए कोर्ट ने कहा कि जब पुलिस किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है तो आपको उसे गिरफ्तार करती है लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. यह आपके प्रभाव को दर्शाता है. कोर्ट ने नूपुर शर्मा से कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली पुलिस ने आपके लिए रेड कार्पेट बिछा रखा है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नूपुर शर्मा का बयान की वजह से ही उदयपुर की घटना हुई. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था कि आपको ऐसा बयान दिए जाने की जरूरत ही क्या थी.
सत्ता की ताकत दिमाग पर हावी नहीं होनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए कहा कि सत्ता की ताकत दिमाग पर हावी नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि आपने माफी मांगने में देर कर दी. सुनवाई के दौरान नूपुर शर्मा ने कहा कि मुझे रेप और हत्या की धमकियां मिल रही हैं. इससे पहले नूपुर शर्मा के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने जानबूझकर यह बयान नहीं दिया. इससे पहले उनके उकसाने वाले बयान दिए गए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि वहां लोगों ने ऐसा किया है तो उनके खिलाफ भी केस दर्ज किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा कि अगर एंकर ने भड़काया तो उस पर केस क्यों नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन लोगों के मन में दूसरे धर्म के प्रति सम्मान नहीं है.