ISRO का सबसे छोटा नया रॉकेट SSLV-D1 हुआ लॉन्च, भारत ने रचा नया इतिहास
1 min readभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ISRO अपने पहले स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) रॉकेट के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण के साथ रविवार को नया इतिहास रचा दिया हैं. बता दें इसरो के राकेट एसएसएलवी-D1 (SSLV-D1) ने श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से उड़ान भरी. लेकिन सैटेलाइट्स से संपर्क टूट गया है. इसरो वैज्ञानिक संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं. यह 500 किलोग्राम तक अधिकतम सामान ले जाने की क्षमता वाला यह राकेट एक ‘पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-02’ (EOS-02) को लेकर जा रहा है, जिसे पहले ‘माइक्रोसेटेलाइट-2 ए'(‘Microsatellite-2A’) के नाम से जाना जाता था. इसका वजन लगभग 142 किलोग्राम है. विश्वसनीय, शक्तिशाली रॉकेटों पीएसएलवी और जीएसएलवी (पोलर सैटेलाइट व जियो सिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल) के बाद पहली बार एसएसएलवी का उपयोग उपग्रह भेजने में होगा। मिशन को लॉन्च करने लिए वैज्ञानिक कई हफ्तों से जुटे थे।
दो उपग्रह भेजे गए
इस रॉकेट के जरिये बेहद कम समय व खर्च में 500 किलो तक के उपग्रह निचले परिक्रमा पथ (पृथ्वी से 500 किमी ऊपर तक) पर भेजा गया है, रविवार के मिशन में दो उपग्रह अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट- 02 और आजादीसैट इस मिशन में भेजे गए है.
साथ ही इसरो के इस ऐतिहासिक सफलता में विद्यार्थियों की टीम का भी श्रेय मिला हैं, इसरो जिन दो उपग्रह अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-02 और आजादीसैट को इस मिशन में भेजा गया. उनकी तैयारियों में वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक कर दी. बता दें कि आजादी के 75वें साल में आजादी सैट के 75 उपकरण वैज्ञानिकों की मदद से छात्राओं ने बनाए हैं।
माइक्रो श्रेणी के ईओ-02 उपग्रह में इंफ्रारेड बैंड में चलने वाले और हाई स्पेशियल रेजोल्यूशन के साथ आने वाले आधुनिक ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग दिए गए हैं। आजादीसैट आठ किलो का क्यूबसैट है, इसमें 50 ग्राम औसत वजन के 75 उपकरण हैं. इन्हें ग्रामीण भारत के सरकारी स्कूलों की छात्राओं ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर इसरो के वैज्ञानिकों की मदद से बनाया. वहीं स्पेस किड्स इंडिया के विद्यार्थियों की टीम ने धरती पर प्रणाली तैयार की जो उपग्रह से डाटा रिसीव करेगी.
यह मिशन पांच घंटे का प्रक्षेपण काउंटडाउन रविवार सुबह 04:18 मिनट पर शुरू हुआ था और 09:18 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण किया गया. गौरतलब हैं कि अन्य मिशन में काउंटडाउन 25 घंटे का होता है. लेकिन प्रक्षेपण के 13 मिनट बाद ईओएस-02 और फिर आजादीसैट को परिक्रमा पथ पर रखा गया.