March 21, 2023

“लड़े वो वीर जवान, देश के लिए ” कारगिल विजय दिवस की आज 22वीं वर्षगांठ

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दो महीने तक चली इस जंग में हमारे पांच सौ से ज्यादा वीर सपूत शहीद हो गए थे.कारगिल विजय दिवस घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों पर भारतीय सैनिकों की जीत के उपलक्ष्य में 26 जुलाई को मनाया जाता है। इस साल कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ है।

कारगिल विजय दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है. देश आज अपने वीरजवानों को याद कर रहा हैं. दो महीने तक चली इस जंग में हमारे पांच सौ से ज्यादा वीर सपूत शहीद हो गए थे. कारगिल विजय दिवस घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों पर भारतीय सैनिकों की जीत के उपलक्ष्य में 26 जुलाई को मनाया जाता है. इस साल कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ है.

60 दिनों तक चला युद्ध
करगिल युद्ध 1999 में हुआ था. इसकी शुरुआत हुई थी 8 मई 1999 से जब पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों को कारगिल की चोटी पर देखा गया था. भारतीय सेना ने पाकिस्तानी फौज का जमकर मुकाबला किया और ऊंची चोटियों से उन्हें भागने को मजबूर कर दिया था. इसमें घुसपैठ के जरिए भारत के कारगिल और उसके आसपास के इलाकों पर कब्जा करने का प्रयास किया था. इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ. इस युद्ध के दौरान 550 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे.

पाकिस्तान का उद्देश्य
इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और सियाचिन ग्लेशियर से भारतीय सेना को वापस बुलाना था. साथ ही, पाकिस्तान का मानना था कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का तनाव पैदा करने से कश्मीर मुद्दे को एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी, जिससे उसे एक शीघ्र समाधान प्राप्त करने में मदद मिलेगी. भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह विश्वास दिलाने में सफलता हासिल की कि वह पाकिस्तान के आक्रमण का शिकार है और पाकिस्तान ने शिमला समझौते का उल्लंघन किया है. इन्हीं सबके कारण पाकिस्तान को युद्ध और अंतरराष्ट्रीय स्तर दोनों ही में मुंह की खानी पड़ी.
इस साठ दिन से ज्यादा चले युद्ध में पाकिस्तान को आखिरकार घुटने टेकने पड़े और कारगिल में हिंद के शूरवीरों के प्रचंड पराक्रम को प्रणाम करने के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है.

भारत का पहला टेलीविजन युद्ध
कारगिल युद्ध वास्तव में भारत का पहला टेलीविजन युद्ध था. पहली बार टीवी के पत्रकार युद्ध के इलाके से रिपोर्टिंग करते दिखाई दिए और उनकी तस्वीरें टीवी पर हर समय छाई रहीं. इससे भारत के पक्ष में एक जनमत बना और दुनिया के लोगो को भी भारत के पक्ष में लाए में मदद मिली. इसके अलावा रक्तदान के शिविरों, सेना के लिए वेलफेयर फंड और सेलिब्रिटी समुदाय ने भी खुले दिल से देश के सैनिकों को सहायता और अनुदान दिए. इससे भारतीय सैनिकों का भी मनोबल काफी बढ़ा.

सर्वोच्च पद संभालने के बाद मुर्मू का पहला ट्वीट
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सर्वोच्च पद संभालने के बाद पहला ट्वीट कारगिल युद्ध के वीर सपूतों के नाम किया है. . इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने पहले ट्वीट में लिखा, ”कारगिल विजय दिवस हमारे सशस्त्र बलों की असाधारण वीरता, पराक्रम और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है. भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले सभी वीर सैनिकों को मैं नमन करती हूं. सभी देशवासी, उनके और उनके परिवारजनों के प्रति सदैव ऋणी रहेंगे. जय हिन्द!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर कारगिल विजय दिवस की श्रद्धांजलि अर्पित की है. पीएम ने ट्वीट में लिखा, ”कारगिल विजय दिवस मां भारती की आन-बान और शान का प्रतीक है. इस अवसर पर मातृभूमि की रक्षा में पराक्रम की पराकाष्ठा करने वाले देश के सभी साहसी सपूतों को मेरा शत-शत नमन. जय हिंद!’

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट में लिखा, ”कारगिल विजय दिवस भारतीय सशस्त्र बलों के अदम्य साहस और शौर्य का प्रतीक है. आज का दिन गौरवान्वित होने के साथ ही हमारे जवानों की वीरता का स्मरण कर उसका सम्मान करने का भी दिन है. अपनी बहादुरी से कारगिल से दुश्मनों को खदेड़कर पुन: तिरंगा लहराने वाले जवानों को हृदय से नमन करता हूं.” बता दें कि इसी तरह के देशभर में लोग सोशल मीडिया के माध्यम से कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को याद कर रहे हैं और श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं.

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