पंजाब सरकार के खिलाफ किसानों का धरना प्रदर्शन, केंद्र सरकार का पुतला जलाया

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भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां द्वारा किसानी मांगों की पूर्ति के लिए पंजाब सरकार के खिलाफ जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के समक्ष लगाए पक्के मोर्चे रविवार को भी जारी रहे। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की तरफ से तीन जनवरी को रखी गई बैठक सात जनवरी तक स्थगित किए जाने पर किसान संगठनों ने कड़ी निदा की। आपको बता दें, भारतीय किसान संघ भारत में एक किसान प्रतिनिधि संगठन है। इसकी स्थापना पंजाब खेतिबारी यूनियन के चौधरी चरण सिंह ने की थी जो इसकी पंजाब शाखा बन गई। संघ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और वाया कैम्पेसिना से संबद्ध है। इसकी संथापना 1 जुलाई 1978 में की गई थी।

मांग न पूरी होने पर किसानों में रोष

किसानों ने सरकार के साथ बैठक को स्थागित करने के फैसले के खिलाफ अपने धरनों को लंबे समय के लिए बड़ा दिया है। साथ ही एलान किया है कि सोमवार को किसान कड़ा रुख अपनाएंगे। संगठन के जिलाध्यक्ष अमरीक सिंह गंढूआं और जिले के महासचिव दरबारा सिंह छाजला के नेतृत्व में 14वें दिन भी धरना जारी रहा। धरने के दौरान जगतार सिंह ने प्रमुख मांगों का जिक्र करते हुए बताया कि गन्ने का भाव 360 रुपये प्रति क्विटल, खुदकुशी कर चुके किसानों के परिवारों को तीन-तीन लाख रुपये मुआवजा देने, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने और सारा कर्ज माफ करने, आदि मांगों के हल संबंधीत अभी तक सरकार ने कोई पहल नहीं की है। साथ ही जो फसल बारिश के कारण तबाह हो गई है,  उस संबंधी पूरी रिपोर्ट अभी तक डीसी कार्यालयों में नहीं पहुंची है। किसानी नेताओं ने मीडाया से बात चीत में बताया कि पांच जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब पहुंचेंगें, जिसका विरोध जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। तीन और चार जनवरी को पंजाब के गांवों में रोष प्रदर्शन करके केंद्र सरकार के पुतलों में आग जला कर, विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव का समय नजदीक आने पर सियासी पार्टियां और उनके लीडर आम लोगों का वोट हासिल करने के लिए, उन्हें गुमराह करते हैं।


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