तमाम धमकियों के बावजूद नैंसी पेलोसी पहुंची ताइवान, चीन हुआ आग बबूला
1 min readअमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी मंगलवार रात ताइवान पहुंची. पेलोसी के पहुंचते ही चीन आगबबूला हो गया और ताइवान पर कई प्रतिबंध लगा दिए. अमेरिका और चीन के बीच काफी तनाव बढ़ चूका है, चीन किसी भी हालात में यह बर्दाश्त नहीं कर पाता की ताइवान को अलग पहचान मिले क्योकिं वो ताइवान को अपना हिस्सा मानता है. चीन ने नैंसी पेलोसी की ताइवान की हाई-प्रोफाइल यात्रा पर कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए अमेरिकी राजदूत को तलब किया है. चीन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका को इस गलती की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अमेरिका ताइवान में दखलअंदाजी बंद करे. इसके अलावा चीनी मीडिया की ओर से कहा गया था कि नैंसी पेलोसी के विमान को लैंड नहीं करने दिया जाएगा. जिनपिंग की चेतावनी और पेलोसी को धमकी के बाद अगर ये यात्रा न होती तो अमेरिका कमजोर दिखता. इसलिए भी ये यात्रा महत्वपूर्ण है.
कड़ी सुरक्षा के बीच नैंसी पेलोसी पहुंचीं ताइवान
अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैंसी पेलोसी मंगलवार को भारतीय समय के अनुसार शाम 8.15 बजे ताइवान में लैंड हो गईं. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच वह ताइवान पहुंचीं. चीन की धमकियों के आगे नैंसी पेलोसी नहीं झुकीं और अमेरिका वायुसेना के विमान C-40C SPAR19 से वह राजधानी ताइपे पहुंचीं. बताया जा रहा है कि पेलोसी की सुरक्षा के लिए पहले से ही ताइवान के करीब अमेरिका नेवी के एक एयरक्राफ्ट समेत पांच युद्धपोत तैनात थे।.जब पेलोसी का विमान ताइवान के हवाई क्षेत्र में पहुंचा तो ये भी खबर आई की चीन के एक फाइटर जेट ने भी उड़ान भरी है.
1949 से ही चीन और ताइवान में जारी है जंग
ताइवान और चीन के बीच जंग काफी पुरानी है. चीन ने ताइवान को हमेशा से ऐसे प्रांत के रूप में देखा है जो उससे अलग हो गया है. चीन मानता रहा है कि भविष्य में ताइवान चीन का हिस्सा बन जाएगा. 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन पर शासन शुरू कर दिया. और सिविल वॉर में हारे लोग ताइवान चले गए यहां वह मुख्य चीन से अलग होकर अपनी सरकार चलाते रहे. चीन ताइवान को अपना देश मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है अपने आपको एक अलग देश के रूप में देखना चाहती है. दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई.
तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं, लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी. हालांकि अमेरिका ने ताइवान पर चीन की सर्वोच्च सत्ता के दावे का कभी समर्थन नहीं किया। इसके चीन के साथ अनौपचारिक संबंध हैं.
अमेरिकी स्पीकर के दौरे से क्यों भड़का चीन?
ताइवान की रक्षा के लिए अमेरिका उसे सैन्य उपकरण बेचता है, जिसमें ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं. ओबामा प्रशासन ने 6.4 अरब डॉलर के हथियारों के सौदे के तहत 2010 में ताइवान को 60 ब्लैक हॉक्स बेचने की मंजूरी दी थी. इसके जवाब में, चीन ने अमेरिका के साथ कुछ सैन्य संबंधों को अस्थायी रूप से तोड़ दिया था. अमेरिका के साथ ताइवान के बीच टकराव 1996 से चला आ रहा है. चीन ताइवान के मुद्दे पर किसी तरह का विदेशी दखल नहीं चाहता है. उसकी कोशिश रहती है कि कोई भी देश ऐसा कुछ नहीं करे जिससे ताइवान को अलग पहचान मिले. यही, वहज है अमेरिकी संसद की स्पीकर के दौरे से चीन भड़क गया है.
चिढ़कर चीन ने ताइवान से आयत पर लगाई रोक
पेलोसी के दौरे से चिढ़कर चीन अब ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. चीन ने ताइवान से आयात किए जाने वाले खट्टे फल, सफेद धारीदार हेयरटेल (मछली) और और फ्रोजन हॉर्स मैकेरल (मछली) के आयात पर रोक लगा दी है. इससे पहले चीन ने कहा था कि वह अगस्त से ताइवान को प्राकृतिक रेत के निर्यात पर रोक लगा देगा.
ताइवान की राष्ट्रपति से मिलीं अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन से मुलाकात की. मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका ने हमेशा ताइवान के साथ खड़े रहने का वादा किया है. इस मजबूत नींव पर, हमारी आर्थिक समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध क्षेत्र और दुनिया में पारस्परिक सुरक्षा पर केंद्रित स्व-सरकार और आत्मनिर्णय पर आधारित एक संपन्न साझेदारी है. उन्होंने कहा कि आपका समाज वास्तव में दुनिया के लिए मिसाल है. ताइवान में लोकतंत्र फल-फूल रहा है. ताइवान ने दुनिया को साबित किया है कि चुनौतियों के बावजूद अगर आशा, साहस और दृढ़ संकल्प है तो आप समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकते हैं. ताइवान के साथ अमेरिका की एकजुटता महत्वपूर्ण है. आज हम यही संदेश लेकर आए हैं.
ट्वीट करके पेलोसी ने कहा की ‘हमारी यात्रा दोहराती है कि अमेरिका ताइवान के साथ खड़ा है: एक मजबूत, जीवंत लोकतंत्र और हिंद-प्रशांत में हमारा महत्वपूर्ण भागीदार’
इसी के साथ पेलोसी ने कहा की दुनिया में लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच संघर्ष है। जैसा कि चीन समर्थन हासिल करने के लिए अपनी सॉफ्ट पावर का उपयोग करता है, हमें ताइवान के बारे में उसकी तकनीकी प्रगति के बारे में बात करनी होगी और लोगों को ताइवान के अधिक लोकतांत्रिक बनने का साहस दिखाना होगा।