काशी विश्वनाथ कारीडोर बनने के बाद दर्शन करने वाले भक्तों में आयी तेजी, काशी हर हर महादेव के नारों से गूंजा

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वाराणसी के काशी में फागुन माह के एकादशी को पूरी काशी रंग-विरंगी रंगों से रंगी हुई नजर आती है. रंगभरी एकादशी के दिन देवाधिदेव महादेव माता पार्वती को शादी के बाद पहली बार काशी में लेकर आते हैं. काशी विश्वनाथ धाम के आस-पास की गलियां भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती के दर्शन के लिए भर जाती हैं. सैकड़ों वर्षों से ज्यादा चली आ रही परंम्परा के निर्वहन के लिए महंत निवास माता पार्वती और बाबा भोलेनाथ को कश्मीर से मंगायी गई लकड़ियाें से निर्मित पालकी से काशी विश्वनाथ धाम के गर्भगृह तक ले जाया जाता है.

इस अद्भभुत पल का साछी बनने के लिए सिर्फ काशी से ही नहीं बल्कि पूरे देशभर से लोग वाराणसी पहुंचते हैं. इस दिन भक्त अपने कंधे पर रजत पालकी को लेकर बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती की प्रतिमा लेकर काशी की गलियों से निकलते हैं जिस पर लोग जमकर रंग और गुलाल बरसाते हैं. जिसके बाद पूरा कारीडोर परिसर हर हर महादेव के नारों से गुंजायमान हो जाता है.


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