जज साहब, रोटियां इतनी सख्त कि जानवर भी न खाए..तिहाड़ के कैदी ने खोली पोल
1 min readलोगों को कोर्ट में सबूत और बयान पेश करते तो अपने जरूर देखा होगा.लेकिन क्या कभी किसी कैदी को आपने रोटी पेश करते देखा है. जी हाँ, रोटी..जिसे एक तिहाड़ के कैदी ने जज के सामने पेश किया. दरअसल, 20 मई को मकोका मामले में जेल में बंद एक कैदी को तीस हजारी कोर्ट के लॉकअप में लाया गया. यहां से कैदी को अडिश्नल सेशन जज विशाल सिंह की कोर्ट में पेश किया गया. कैदी किसी तरह छिपाकर जेल से लाई रोटियों को कोर्ट रूम ले गया. कैदी ने पेशी शुरू होने से पहले जज से उसकी बात सुनने की अपील की, जिसे उन्हेंने मंजूर कर लिया. और उसके बाद जो हुआ उसे देखर सब दंग रह गए.
कैदी ने भरी कोर्ट में तिहाड़ जेल में बनी रोटियां दिखाई, जो बेहद सख्त थीं, ठीक से पकी नहीं थीं और घटिया आटे से बनी थीं. कैदी ने कहा कि इन रोटियों के अलावा जज साहब लॉकअप में जो कैदी बंद हैं. वहां भी जाकर एक बार देख लीजिए। दाल और सब्जियां भी बेहद खराब क्वॉलिटी की हैं. ASJविशाल सिंह ने स्टाफ के साथ लॉकअप का विजिट किया तो वहां देखा दाल और सब्जी में बस पानी ही पानी था.
पीने के लिए पानी भी नहीं दिया जाता है : ASJ को बताया गया कि कैदियों को लॉकअप में गर्मी में पीने को पर्याप्त पानी तक नहीं दिया जाता. जेल वैन से लाते वक्त भी बीच रास्ते में उन्हें पीने को पानी नहीं दिया जाता. अगर किसी कैदी की तबीयत खराब हो जाए तो कोई परवाह नहीं करता. खाने-पीने के मामले में जानवरों से भी बदतर सलूक किया जाता है. जैसी दाल-रोटी कैदियों को दी जाती है. वैसा खाना तो जानवर भी शायद ना खाएं, लेकिन मजबूरी में उन्हें खाना पड़ता है.
इससे नाराज एएसजे ने तिहाड़ जेल प्रशासन को डिटेल में आदेश पारित कर खाने की क्वॉलिटी सुधारने और जेलों में जहां भी खाना बनता है, वहां उचित निगरानी करने के आदेश दिए। ताकि कैदियों को मिलने वाला खाना अच्छी गुणवत्ता का हो. साथ ही गर्मी हो या सर्दी, कैदियों को पीने के लिए पर्याप्त पानी का इंतजाम करने के भी आदेश दिए गए.